Kal Chaudhvin Ki Raat Thi

… For ages, I have been giving in silence my silent message of love. You ask me for a message from my silence, but silent are the words of my silence. Silent is love, and the lover loves my silence and silently adores me in my silence.
– Meher Baba

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा

हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए
हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा

इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें
हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा

कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर
जंगल तेरे पर्बत तेरे बस्ती तेरी सहरा तेरा

हम और रस्म-ए-बंदगी आशुफ़्तगी उफ़्तादगी
एहसान है क्या क्या तेरा ऐ हुस्न-ए-बे-परवा तेरा

दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तेरी इकराम का दरिया तेरा

ऐ बे-दरेग़ ओ बे-अमाँ हम ने कभी की है फ़ुग़ाँ
हम को तेरी वहशत सही हम को सही सौदा तेरा

हम पर ये सख़्ती की नज़र हम हैं फ़क़ीर-ए-रहगुज़र
रस्ता कभी रोका तेरा दामन कभी थामा तेरा

हाँ हाँ तेरी सूरत हसीं लेकिन तू ऐसा भी नहीं
इक शख़्स के अशआर से शोहरा हुआ क्या क्या तेरा

बेशक, उसी का दोष है, कहता नहीं ख़ामोश है,
तू आप कर ऐसी दवा बीमार हो अच्छा तेरा

तू बेवफ़ा तू मेहरबाँ हम और तुझ से बद-गुमाँ,
हम ने तो पूछा था ज़रा ये वक्त क्यूँ ठहरा तेरा

बेदर्द सुननी हो तो चल, कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक़ तेरा रुस्वा तेरा शाइर तेरा ‘इंशा’ तेरा

Kal Chaudhvin Ki Raat Thi
https://youtu.be/dN1O1vQju2Q
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